अंगूर की सब्जी, जो राजा की उर्जा बडाती थी देखे रेसिपी :200 साल से भी पुराना जायका; 5 स्टार होटल्स में रोज बनती है ये सब्जी
अंगूर की सब्जी, जो राजा की उर्जा बडाती थी :200 साल से भी पुराना जायका; 5 स्टार होटल्स में रोज बनती है ये सब्जीअंगूर की सब्जी, जो राजा की उर्जा बडाती थी :200 साल से भी पुराना जायका; 5 स्टार होटल्स में रोज बनती है ये सब्जी
एक जमाना था जब सबसे लजीज खाना केवल राजघरानों में ही बनता था। इनकी सीक्रेट रेसिपी भी केवल रजवाड़ों के शाही खानसामों (रॉयल फैमिली का किचन) के पास ही होती थी। राजा को खिलाई जाने वाली हर रेसिपी की न्यूट्रिशन वैल्यू भी देखी जाती थी।
रॉयल फैमिली का ऐसा ही एक जायका है, अंगूर-मखाने की सब्जी। उस जमाने में अंगूर केवल राजा-महाराजा के लिए ही उपलब्ध होते थे। अपने एंटी एजिंग एजेंट यानी जवान बनाए रखने की क्वालिटी के कारण अंगूर राजाओं की पसंद भी हुआ करते थे। तब उदयपुर रियासत में पहली बार अंगूर की सब्जी बनाई गई।
लेकिन वक्त के साथ राजशाही रसोई की ये सीक्रेट रेसिपी बाहर आई। इस सब्जी का नाम जितना गजब है, स्वाद उतना ही रॉयल है।
राजस्थानी जायका की न्यू ईयर स्पेशल कड़ी में आज हम आपको बताएंगें उस सब्जी की रेसिपी जो फाइव स्टार होटल्स या पूर्व राजघरानों की दावतों में ही मिलती है। इसे आप घर पर तैयार कर सकते हैं, इतिहास क्या है, यह बताने के लिए हमारे साथ जुड़े हैं, आइनॉक्स लेजर के चीफ शेफ हिम्मत सिंह….
राजस्थान पहुंचे काबुल के अंगूर
इस सब्जी में अंगूर और मखाने दोनों ही काफी रॉयल इंग्रीडिएंट्स हैं। आज हम सभी जिन अंगूरों का लुत्फ उठाते हैं, वो भारत का नहीं है। ये फल केवल राजघराने में खाए जाते थे। आम लोगों को इसके स्वाद का अंदाजा भी नहीं था।
दरअसल, अंगूर कई शताब्दी पूर्व अफगानिस्तान के काबुल से होते हुए भारत पहुंचा। वहां आने वाले कई बड़े व्यापारी अपने देश में पैदा होने वाले खास फल, मसाले, सब्जियां लेकर जगह-जगह जाते थे। ऐसे ही एक बार एक व्यापारी ने उदयपुर रियासत के राजा को अंगूर भेट किए। राजा को अंगूर इतने पसंद आए कि उन्होंने अपने शाही रसोईये को इसका कुछ खास बनाने की फरमाइश रखी।
अंगूर के कारण सब्जी में खट्टा-मीठा टेस्ट आता है। इसे पुलाव के साथ भी खाया जा सकता है।
राजा की फरमाइश पर बनी सब्जी
राजा की फरमाइश पर शाही रसोइये ने अंगूरों को कई तरह से पकाने की कोशिश की। सब्जी में अंगूर का स्वाद बनाए रखना और उससे बेहतर डिश बनाना किसी चुनौती से कम नहीं था। काफी अलग-अलग ऐक्सपेरिमेंट के बाद मखाने ने उसे कॉम्पलीमेंट किया। क्योंकि मखाने का अपना कोई स्वाद नहीं होता। मखाना राज परिवार में सदियों से खाया जा रहा था। ऐसे में मखाने के साथ बनी सब्जी में अंगूर का स्वाद भी बेहतर तरीके से उभर कर आया।
राजा को जब ये डिश बनाकर पेश की गई तो वे इसे खाते ही रह गए। तभी से अंगूर-मखाने की सब्जी रॉयल डाइनिंग का हिस्सा बन गई। तब कई राजघरानों में उदयपुर रियासत में बनने वाली इस सब्जी की चर्चा होती थी। अंगूर और मखाने दोनों ही महंगे होने के कारण आम आदमी की पहुंच से दूर थे, इसलिए ये डिश कभी पब्लिक नहीं हुई।
शेफ हिम्मत सिंह की मानें तो इस सब्जी का इतिहास 200 साल से भी पुराना है। आज भी ये हर रॉयल फैमिली की दावतों में खास तौर पर बनाई जाती है। कई फाइव स्टार होटल्स में इस रॉयल सब्जी की खासी डिमांड रहती है।
मखाने में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी ट्यूमर गुण पाए जाते हैं। मखाना वजन कम करने में मदद करता है। कैल्शियम का रिच सोर्स होता है, जिससे हड्डियां मजबूत होती हैं। ब्लड प्रेशर कंट्रोल करता है। वीगन लोगों के लिए मखाना प्रोटीन का अच्छा स्रोत है।
अंगूर-मखाने रखते हैं जवान!
शेफ हिम्मत सिंह बताते हैं कि पहले ये सब्जी केवल सर्दी के सीजन में बनाई जाती थी, क्योंकि तब अंगूर केवल सर्दी में ही मिला करते थे। लेकिन अब ये ऑल सीजन में बना सकते हैं। इस सब्जी को बनाने के पीछे एक और कारण था। इस सब्जी के काफी सारे हेल्थ बेनिफिट भी हैं। पुराने समय में लोग खाने-पीने का बहुत ध्यान रखते थे। उस दौर में स्किन को प्रोटेक्ट करने के लिए क्रीम या दवाइयां नहीं हुआ करती थी।
अंगूर और मखाने दोनों में एंटी एजिंग तत्व (जवान बनाए रखने के गुण) होने के कारण राज परिवार के लिए यह सब्जी स्पेशल बनाई जाती थी। स्किन और बालों की खूबसूरती के अलावा अंगूर दिल की सेहत के लिए भी लाभदायक हैं। ऐसे ही फायदों के कारण ये रेसिपी राजघराने की रसोई का हिस्सा बनी।
अंगूर-मखाने की सब्जी
इस सब्जी को बनाने में कई तरह की सावधानियां रखनी होती हैं। इसे कितनी देर तक पकाया जाए, ग्रेवी कैसे बनानी है। क्या तैयारी करनी होती है। कौन से मसालों का प्रयोग होता है। आइए आपको बताते हैं….
- 50 ग्राम मखाना ( 1 छोटा चम्मच घी में फ्राइड)
- 50 ग्राम अंगूर ( लंबे वाले अंगूर जिन्हें कैप्सूल अंगूर भी कहते हैं )
- 2 बड़े चम्मच देसी घी
- ½ छोटा चम्मच अदरक लहसुन बारीक कटे
- 2 मीडियम साइज के प्याज
- ½ साबुत धनिया
- ¼ जीरा
- ¼ सौंफ
- 1 साबुत लाल मिर्च
- 1 तेज पत्ता
- ½ छोटी चम्मच हल्दी पाउडर
- 1½ छोटा चम्मच लाल मिर्च पाउडर ( मथानिया)
- 2½ छोटा चम्मच धनिया पाउडर
- 1 छोटी कटोरी दही
- ½ काला नमक
- सादा नमक स्वाद अनुसार
- चुटकी भर क्रश कसूरी मेथी
- 1 बड़ा चम्मच क्रीम
- 30 ग्राम माव
ये है रॉयल अंगूर-मखाना की सब्जी।
ऐसे तैयार होती है रॉयल डिश
- सबसे पहले एक पैन में घी डालें और उसे अच्छे से गरम करें।
- अब मसाले साबुत धनिया (क्रश कर के), जीरा, सौंफ, साबुत लाल मिर्च, तेज पत्ता और बारीक कटा अदरक लहसुन डाल कर उसे 5-10 सेकेंड के लिए तलें।
- बारीक कटे हुए प्याज डाल कर अच्छे से गोल्डन ब्राउन होने तक पकाएं।
- दही में हल्दी, धनिया, लाल मिर्च डालकर उसको अच्छे से फेंट लें और तेज आंच पर इस मिश्रण को पैन में डाल दें। इसे लगातार हिलाते रहें ताकि आपका दही फटे नहीं।
- मसाला तब तक पकाना है, जब तक घी अलग से दिखने नहीं लगे। अब इसमें मावा मिलाकर अच्छे से पकाएं। मसाला चिपक रहा हो तो गर्म पानी मिला सकते हैं।
- अब लो फ्लेम पर इसमें क्रीम एड करें। इसके बाद इसमें मखाने डालें।
- मखाने पानी सोख लें और ग्रेवी हल्की गाढ़ी हो जाए तब उसमें कसूरी मेथी, काला नमक और सादा नमक मिलाएं।
- अब गैस बंद कर दें और इसमें अंगूर मिलाएं। सब्जी में अंगूर डालने के बाद उसे थोड़ी देर ढक कर रख दें। क्योंकि अंगूर भाप से ही पक जाएंगे।
- करीब 5 मिनट बाद ढक्कन हटाकर सब्जी के सर्विंग बाउल में निकाल लें। धनिया पत्ती, अदरक के लच्छे और हल्की सी क्रीम डाल कर गार्निश करें।
मखाना के साथ अंगूर का टेस्ट लाजवाब बनता है। सब्जी की न्यूट्रीशन वैल्यू भी रिच रहती है।
शेफ हिम्मत से जानिए स्पेशल टिप्स…
खाना पकाने में 3 टी का मेजर रोल होता है। अगर ये आ गया तो आप भी एक प्रोफेशनल शेफ की तरह बेहतरीन जायकेदार खाना बना सकते हैं। 3टी यानी टाईम, टेम्परेचर और टेक्शचर। सबसे पहले टाईम यानी की कौन सी सामग्री कौन से समय पर डालनी चाहिए। शेफ बताते हैं हर सामग्री एक सही समय पर डालना बेहद जरूरी है। आप अक्सर देखते होंगे कि क्यों हम तेल में पहले जीरा, सौंफ या खड़े मसाले डालते हैं। क्यों प्याज के पहले टमाटर नहीं डालते? क्योंकि हर चीज का अपना एक समय तय है। उस समय को बदलेंगे तो खाने का स्वाद भी बदल जाएगा।
जाने-माने मसाला ब्रांड एमडीएच के मालिक महाशय धर्मपाल गुलाटी (इनकी 98 वर्ष में निधन हुआ था) से एक बार पूछा गया था कि उनकी लंबी उम्र का राज क्या है? तब जवाब में उन्होंने कहा था कि वे हर रोज दूध में मखाना डालकर उसका सेवन करते हैं।
अब बारी आती है दूसरे टी यानी की टेंपरेचर की हर चीज को डालने का जैसे एक सही समय होता है ठीक वैसे ही हर चीज को पकाने का एक सही तापमान भी होता है। जैसे- बहुत गरम तेल में अगर आप प्याज डालेंगे तो वो तुरंत जल जाएंगे। वहीं सब्जी में दही मिलाते वक्त फ्लेम हमेशा तेज होनी चाहिए नहीं तो दही फट जाएगा।
तीसरा टी है टैक्शचर। हर डिश की ग्रेवी का टेक्सचर अलग होता है। जैसे कि कुछ डिश बहुत रसेदार और लिक्विड होती हैं, वहीं कुछ क्रीमी, गाढ़ी और स्मूथ ग्रेवी होती हैं। कुछ में खड़े मसाले और दानेदार ग्रेवी होती है। ग्रेवी की कंसिस्टेंसी को ही टेक्सचर कहते हैं। ये टेक्सचर अगर सही है तो ये उस सब्जी का स्वाद और खूबसूरती बढ़ा सकता है। नहीं तो ये सब्जी को टेस्ट लेस भी कर सकता है।
तो अगर आप इन 3 टी को सही से बैलेंस कर लेते हैं तो आप भी एक बेहतरीन शेफ की तरह खाना बना पाएंगे और आपके दोस्त, रिश्तेदार सभी अपनी उंगलियां चाटते नजर आएंगे।
ज्यादातर रीडर्स ने सबसे सही आंसर दिया है। ये बानसूर की फेमस अदरक बर्फी है। इसे देशी घी में अदरक की पहली मिठाई कहा जाए तो कोई बड़ी बात नहीं। अदरक का टेस्ट ऐसा है जो मुंह को कसैला कर देता है। लेकिन इसे खाने का खास तरीका एक वैद्य जी ने तैयार किया था। कोटपूतली से महज 19 किलोमीटर दूर बानसूर कस्बे में पिछले 45 साल से बिक रही अदरक बर्फी आज एक ब्रांड बन चुकी है। देश में जब कोरोना संकट आया तब आयुष मंत्रालय ने भी इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए इसकी रेसिपी शेयर की थी।
सर्दियों में अदरक का इस्तेमाल बतौर औषधि अदरक पाक (हलवा) और सोंठ के लड्डुओं के तौर पर सदियों से हो रहा है। लेकिन बानसूर के हलवाइयों ने इसे बर्फी की शक्ल दी। इसकी शुरुआत करीब 45 साल पहले हुई। मिठाई का भाव 300 रुपए से 350 रुपए किलो तक है।
जायका के बाकी एपिसोड यहां देखें…
1. पनीर की ये रेसिपी सिर्फ राजस्थान में मिलेगी:जयपुर के प्रोफेसर ने बनाया ‘दिलखुश’, कोई चुरा न सके इसका भी इंतजाम
शाही पनीर, कढ़ाई पनीर, हांडी पनीर, पनीर दो प्याजा, काजू मखनी पनीर, चिली पनीर, पनीर बटर मसाला, पालक पनीर, पनीर कोफ्ता, खोया पनीर, पनीर तंदूरी मसाला…..वगैरह….वगैरह। ये पनीर की वो पॉपुलर रेसिपीज हैं, जो हर खाने की टेबल की शान बनती हैं। किसी रेस्टोरेंट में आप पनीर का मेन्यू पूछेंगे तो ऑर्डर लेने वाला एक सांस में आपको ये सारे नाम बता देगा….अब इस लिस्ट में एक नाम और जुड़ने वाला है।
2. अदरक बर्फी, जिसे आयुर्वेदिक डॉक्टर ने बनाया:पाकिस्तान के सियालकोट से राजस्थान पहुंची गोंद बर्फी, बन गई ब्रांडहम अदरक से बनी एक ऐसी लजीज आइटम के बारे में बताएंगे जो बिलकुल भी कड़वी नहीं होती। बंदर भी अगर चख ले तो इसका स्वाद आने लगेगा। आप भी इसे खाकर दीवाने हो जाएंगे। ये है बानसूर की स्पेशल अदरक बर्फी, जो सर्दियों में इम्यूनिटी बूस्टर का काम करती है.