Railway News: चलती ट्रैन में कैसे पता चलता है सही रास्ता, पढ़े पूरी खबर
नई दिल्ली:- Railway News, ट्रेन से यात्रा करते समय अक्सर हम खिड़की से बाहर का नजारा देखते हुए उस यात्रा को इंजॉय करते हैं. हालांकि क्या कभी रेलवे ट्रैक को देखकर आपके मन में यह सवाल उठा है कि एक समान दिखने वाले ट्रक में कौन सा रास्ता बिल्कुल सही है. और यह रास्ता लोको पायलट को कैसे पता चलता है. सामान्यतः एक ही लाइन में जाने वाले तरह-तरह के ट्रक में किस ट्रक पर ट्रेन को ले जाना है. यह लोको पायलट को कैसे पता चलता है. अर्थात वह कैसे तय कर पाता है. भारतीय रेलवे ने इसको लेकर यह जानकारी दी है रेलवे नहीं है बताया है कि ट्रेन को चलाते समय कैसे ट्रेन ड्राइवर यानी कि लोको पायलट सही ट्रक को सिलेक्ट करता है. इस बात को लेकर रेलवे मंत्रालय ने एक तस्वीर को भी शेयर किया है.
किस ट्रैक पर ट्रेन को आगे लेकर जाना है?
एक ट्वीट में रेलवे मंत्रालय ने बताया है कि यदि सामने से एक से ज्यादा ट्रैक है तो लोको पायलट को किस तरह से यह पता चलता है कि किस ट्रैक पर जाना चाहिए इसकी जानकारी उन्हें होम सिग्नल से होती है. यह सिग्नल ही बताता है कि लोको पायलट को की ट्रेन को किस ट्रैक पर आगे लेकर जाना है और किस ट्रेन के लिए कौन सा ट्रक निर्धारित किया गया है.
होम सिग्नल से मिलती है मदद
होम सिग्नल के द्वारा लोको पायलट को ट्रेन को सही ट्रैक पर लेकर जाने में काफी सहायता मिलती हैं. जिस स्थान पर कोई ट्रक 1 से ज्यादा भाग में बंट रहा हो तो सिग्नल 300 मीटर पहले लगाया जाता है. सही ट्रैक बताने के साथ ही लोको पायलट को यह उसे ट्रेन को सुरक्षित स्टेशन पर लेकर आने के लिए भी सिग्नल देता है.
सभी ट्रेनों में होते हैं दो लोको पायलट
जैसा कि आपको पता है कि सभी ट्रेनों में हमेशा दो ही ड्राइवर होते हैं यानी कि 2 ही लोको पायलट मिलते हैं जिसमें से एक लोको पायलट और दूसरा असिस्टेंट लोको पायलट होता है. ऐसे में यदि मैं लोको पायलट को नींद आने लगे तो दूसरा असिस्टेंट लोको पायलट ट्रेन की कमान को संभालता है. यदि कोई इमरजेंसी हो तो वह मेन लोको पायलट को नींद से जगा देता है. यदि मेन लोको पायलट की तबीयत बिगड़ जाए तो असिस्टेंट लोको पायलट ट्रेन की कमान अपने हाथों में लेकर उसे अगले स्टेशन तक पहुंचा देता है जहां कोई दूसरी व्यवस्था उनके लिए की जाती है.