Karnal News : भारत की पहली क्लोन देसी गिर मादा बछड़े “गंगा” का किया गया उत्पादन.
करनाल :- Karnal News, राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, करनाल द्वारा देश की पहली क्लोन देसी गिर मादा बछड़े का उत्पादन किया गया है, जो अधिक उत्पादन की क्षमता रखता है. यह प्रतिदिन 15 किलो दूध उत्पादन करता है. NDRI करनाल की ओर से बताया गया कि एक परियोजना के तहत गिर और साहीवाल जैसी देसी गाय की नस्ल पर काम करने के लिए भारत में पहली क्लोनिंग गिर मादा बछड़ा गंगा का जन्म हुआ.
स्वदेशी नस्लें की होती है दूध उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका
साहीवाल, थारपारकर, गिर और सिंधी जैसी स्वदेशी नस्लें दूध उत्पादन और डेयरी उद्योग के विकास में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. जीबी कृषि विश्वविद्यालय के प्राचार्य डॉ मनमोहन सिंह चौहान ने बताया कि हमने गिर नस्ल की गाय के बछड़े का क्लोन तैयार किया है, जो प्रतिदिन 15 लीटर दूध देती है. और आगे बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दूध उत्पादन बढ़ाने को लेकर निर्देश दिए जाने के बाद हमने क्लोनिंग तकनीक का इस्तेमाल करके उच्च किस्म की स्वदेशी मवेशियों का क्लोन तैयार करना शुरू कर दिया.
शुरू किया देसी नस्लों के क्लोन पर काम
जब उन्होंने देसी नस्लों के क्लोन पर काम शुरू किया था, तब वह NDRI के प्रमुख थे. यह कार्यक्रम राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, करनाल द्वारा उत्तराखंड पशुधन विकास बोर्ड, देहरादून के साथ मिलकर शुरू किया गया था.
एनडीआरआई के प्रमुख डॉ धीर ऐबघ द्वारा जानकारी दी गई कि गिर नस्ल के मवेशी बहुत ज्यादा कठोर होते हैं और यह मवेशी उष्णकटिबंधीय रोगों के प्रतिरोधक रोग और तनाव की स्थिति के प्रति सहनशीलता के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने आगे बताया कि गिर नस्ल के मवेशी बहुत ज्यादा लोकप्रिय हैं, इन्हें जेबू गायों के विकास के लिए ब्राजील, अमेरिका और वेनेजुएला जैसे देशों में मंगाया जाता है.
2 साल से अधिक समय से टिम क्लोन कर रही काम
स्वदेशी विधि विकसित करने के लिए वैज्ञानिकों की एक टीम क्लोन विधि पर 2 साल से काम कर रही है. इस टीम में डॉ नरेश सेलोकर, मनोज कुमार, अजय असवाल, एसएस लथवाल, सुभाष कुमार, रंजीत वर्मा, एमएस चौहान और कार्तिक पटेल जैसे वैज्ञानिक शामिल है. इस नस्ल को क्लोन करने के लिए अल्ट्रासाउंड निर्देशित सुईयों का प्रयोग करके जीवित जानवर से ओसाइट्स को अलग कर दिया जाता है, इसके बाद नियंत्रण स्थिति में 24 घंटे के अंदर इसे परिपक्व करने की तैयारी होती है.