High Court News: पति पत्नी के बीच हस्तक्षेप करना कोर्ट का या सरकार का नहीं अधिकार
चंडीगढ़:- पंजाब एवं हरियाणा High Court ने एक मामले की सुनवाई के दौरान एक आपराधिक मामले की सुनवाई के दौरान कहा की कोई भी वयक्ति आपराधिक लंबित मामले के दौरान सुखी जीवन नहीं जी सकता. रीती रिवाज से विवाह करने वाले एक जोड़े के जीवन में सरकार और अदालत को हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है. इस टिप्पणी के साथ ही जस्टिन जगमोहन बंसल की पीठ ने चल रहे एक केस नाबालिक लड़की के अपहरण के आरोप में दर्ज प्राथमिकी को रद्द कर दिया, जो अब आरोपित के साथ पत्नी के रूप में रह रही है.
लड़की के पिता ने लगाए आरोप
लड़की के पिता ने 2019 में रोहतक के मेन थाने में मामला दर्ज कराया था. आरोप लगाया था कि उसने साजिश रच कर नाबालिग बेटी को बहला-फुसलाकर उसके साथ जालसाजी के साथ अपहरण कर और उसके साथ शादी कर ली. लड़के ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अपने खिलाफ दर्ज मामले को बेबुनियाद तथा रद्द करने की गुहार लगाई थी. ये खबर आप haryananewstoday.com पर पढ़ रहे है. जस्टिन जगमोहन बंसल की खंडपीठ ने कहा कि भारतीय संस्कृति में जाति और धर्म के बावजूद एक दूसरे के साथ अगर समझौते के साथ सादी होती है तो उन दो परिवारों के बीच एक अच्छा रिस्ता बन जाता है.
किसी और के नाराज़ होने से केस मान्य नहीं
बता दे की आगे कोर्ट द्वारा कहा गया की भारतीय समाज में 2 परिवारों के बीच रिस्ता बन रिश्ता पवित्र माना जाता है. जहा पर 2 परिवार एक दूसरे को अपनाते है. शादी जैसे पवित्र बंधन में अगर पति पत्नी की अपनी मर्जी है तो किसी और को उस रिश्ते से नाराज़ होने का कोई अधिकार नहीं है. वही केस में जब लड़का लड़की दोनों ने शादी कर ली और उन से एक बच्चा है तो केस का कोई मतलब ही नहीं बनता है. किसी को इस लिए तो दण्डित नहीं किया जा सकता की उनकी शादी किसी और को पसंद नहीं है. ऐसा कह कर कोर्ट ने केस को क्लोज कर दिया.