Haryana Village Story : हरियाणा का अनोखा गांव जहां दूध मिलता है फ्री, डमरू बजाने पर है पाबंदी, जानिए क्या है बड़ी वजह

हरियाणा का एक गांव हैं, जहां दूध फ्री में मिलता है। यहां के लोग दूध को बेच नहीं सकते। अगर किसी ने दूध बेचने की कोशिश की तो उसका दूध देने वाला पशु खराब हो गया यानि कि उस पशु ने दूध देना बंद कर दिया।
 
Haryana Village Story : हरियाणा का एक गांव हैं, जहां दूध फ्री में मिलता है। यहां के लोग दूध को बेच नहीं सकते। अगर किसी ने दूध बेचने की कोशिश की तो उसका दूध देने वाला पशु खराब हो गया यानि कि उस पशु ने दूध देना बंद कर दिया। अगर किसी को दूध की जरूरत है तो फ्री में मिल जाता है लेकिन इसकी कीमत नहीं ली जाती। इस गांव के लोगों की कई मान्यताएं हैं।   Also Read - कांग्रेस विधायक की सेक्स सीडी वीडियो वायरल, छह मिनट का वीडियो, सियासी भूचाल मचा गांव में कोई भी बाहर या ग्रामीण डमरू नहीं बजा सकता, गांव में सांग नहीं हो सकता और सिर पर दो घड़ यानि सिर पर पानी का मटका रखकर नहीं चल सकता। आज हम आपको बताते हैं इस गांव का नाम और यहां के लोगों की मान्यताएं, जो दशकों से चली आ रही हैं।   हरियाणा के भिवानी जिले में गांव है नाथूवास। यह दावा हम नहीं कर रहे, बल्कि गांव के बुजुर्ग ही बता रहे हैं। इस गांव के लोगों के अनुसार करीब 100 साल से भी ज्यादा समय पहले गांव के सभी पशुओं में बीमारी आ गई थी। पशु गंभीर रूप से बीमार होकर मरने लगे थे।   Also Read - Haryana News: हरियाणा के इस जिले को एक साथ मिले DC और SP, इतिहास में ऐसा पहली बार, जानें वजह  तब उस समय गांव के ही डेरे में बाबा फूलपरी था। उसने गांव में बंधन ऐसा बांधा। गांव में 24 घंटे के लिए न कोई बाहर गया और न ही कोई गांव के अंदर आया और किसी भी घर में चूल्हा नहीं जलाया गया। सभी लोगों ने बासी खाना खाया। इसके बाद पशुओं में आई बीमारी खत्म हो गई।  बाबा फूलपरी ने कहा कि गांव में न तो कोई दूध बेचे, न ही गांव में सांग का आयोजन होना चाहिए। डमरू भी नहीं बजाया जाए। उसी समय से लोग इस मान्यता को मानते आ रहे हैं। गांव के धर्मपाल, ईश्वर समेत कई बुजुर्गों ने मान्यता के बारे में बताते हुए कहा कि उसी समय से इन नियमों का पालन किया जा रहा है।    ग्रामीणों ने बताया कि अगर किसी को दूध चाहिए होता है तो उसे किसी से भी उधारा मिल जाता है, जो बाद में लौटा दिया जाता है। अगर दूध खरीदना है तो उसे दूसरे गांव से ही खरीदकर लाना पड़ता है। अगर किसी की शादी, ब्याह में दूध की जरूरत होती है तो गांव में जिस भी घर में दूध होता है, वहां से फ्री में आता है।   कई लोगों ने किया दूध का व्यापार लेकिन रहे असफल   गांव के कई लोगों ने दूध का व्यापार करने का प्रयास किया, डेयरी की, कुछ लोगों ने गांव से दूध शहर में ले जाकर बेचने का भी काम किया लेकिन कोई भी सफल नहीं हो सका।   किसी का पशु बीमार हो गया और दूध देना बंद कर दिया तो किसी के पशु ने दूध दोहते समय लात मारनी शुरू कर दी। पशुओं का दूध ही सूख गया। ग्रामीण इसके साक्षात गवाह हैं, जिस किसी ने भी दूध बेचना चाहा, उसी को नुकसान उठाना पड़ा।
Haryana Village Story : हरियाणा का एक गांव हैं, जहां दूध फ्री में मिलता है। यहां के लोग दूध को बेच नहीं सकते। अगर किसी ने दूध बेचने की कोशिश की तो उसका दूध देने वाला पशु खराब हो गया यानि कि उस पशु ने दूध देना बंद कर दिया। अगर किसी को दूध की जरूरत है तो फ्री में मिल जाता है लेकिन इसकी कीमत नहीं ली जाती। इस गांव के लोगों की कई मान्यताएं हैं। 

गांव में कोई भी बाहर या ग्रामीण डमरू नहीं बजा सकता, गांव में सांग नहीं हो सकता और सिर पर दो घड़ यानि सिर पर पानी का मटका रखकर नहीं चल सकता। आज हम आपको बताते हैं इस गांव का नाम और यहां के लोगों की मान्यताएं, जो दशकों से चली आ रही हैं। 

हरियाणा के भिवानी जिले में गांव है नाथूवास। यह दावा हम नहीं कर रहे, बल्कि गांव के बुजुर्ग ही बता रहे हैं। इस गांव के लोगों के अनुसार करीब 100 साल से भी ज्यादा समय पहले गांव के सभी पशुओं में बीमारी आ गई थी। पशु गंभीर रूप से बीमार होकर मरने लगे थे। 

तब उस समय गांव के ही डेरे में बाबा फूलपरी था। उसने गांव में बंधन ऐसा बांधा। गांव में 24 घंटे के लिए न कोई बाहर गया और न ही कोई गांव के अंदर आया और किसी भी घर में चूल्हा नहीं जलाया गया। सभी लोगों ने बासी खाना खाया। इसके बाद पशुओं में आई बीमारी खत्म हो गई।

बाबा फूलपरी ने कहा कि गांव में न तो कोई दूध बेचे, न ही गांव में सांग का आयोजन होना चाहिए। डमरू भी नहीं बजाया जाए। उसी समय से लोग इस मान्यता को मानते आ रहे हैं। गांव के धर्मपाल, ईश्वर समेत कई बुजुर्गों ने मान्यता के बारे में बताते हुए कहा कि उसी समय से इन नियमों का पालन किया जा रहा है। 

 

ग्रामीणों ने बताया कि अगर किसी को दूध चाहिए होता है तो उसे किसी से भी उधारा मिल जाता है, जो बाद में लौटा दिया जाता है। अगर दूध खरीदना है तो उसे दूसरे गांव से ही खरीदकर लाना पड़ता है। अगर किसी की शादी, ब्याह में दूध की जरूरत होती है तो गांव में जिस भी घर में दूध होता है, वहां से फ्री में आता है। 

कई लोगों ने किया दूध का व्यापार लेकिन रहे असफल 

गांव के कई लोगों ने दूध का व्यापार करने का प्रयास किया, डेयरी की, कुछ लोगों ने गांव से दूध शहर में ले जाकर बेचने का भी काम किया लेकिन कोई भी सफल नहीं हो सका। 

किसी का पशु बीमार हो गया और दूध देना बंद कर दिया तो किसी के पशु ने दूध दोहते समय लात मारनी शुरू कर दी। पशुओं का दूध ही सूख गया। ग्रामीण इसके साक्षात गवाह हैं, जिस किसी ने भी दूध बेचना चाहा, उसी को नुकसान उठाना पड़ा।

 

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