Haryana Weather Update: करनाल में बरसे बदरा, सात एमएम हुयी बरसात
करनाल :- Haryana Weather Update करनाल और आसपास के इलाकों में शुक्रवार को सात मिमी बारिश दर्ज की गई। मौसम विभाग के अनुसार, ताजा पश्चिमी विक्षोभ से समूचा पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र प्रभावित होने की संभावना है। 23 से 25 जनवरी के दौरान उत्तर पश्चिम भारत के मैदानी इलाकों में भी इसका असर दिखाई देगा। इसके चलते हल्की से मध्यम बारिश जारी रह सकती है। 23 जनवरी को पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में इक्का-दुक्का ओलावृष्टि की संभावना है। जबकि कहीं-कहीं हल्की से मध्यम बारिश या गरज के साथ छींटे पड़ने की भी संभावना है।
कई राज्यों में मौसम के मिजाज का साफ असर देखने को मिलेगा
मौसम के इन नए हालात का साफ असर हरियाणा, चंडीगढ़, उत्तरी Rajasthan और पश्चिमी Uttar Pradesh से लेकर Delhi तक दिखाई देगा। इसके असर से गुरुवार देर शाम से शुक्रवार सुबह तक Karnal सहित आसपास के इलाकों में छिटपुट हल्की बारिश हुई. आंकड़ों के आधार पर यह सात मिमी होने का अनुमान लगाया गया था। अब इस विक्षोभ के प्रभाव से शनिवार तक बादल छाए रहने और बूंदाबांदी के आसार हैं।
22 से 24 जनवरी के बीच हल्की बारिश हो सकती है
मौसम पूर्वानुमान के संदर्भ में उन्होंने बताया कि आगे एक और ताजा पश्चिमी विक्षोभ भी पूरे उत्तर भारत को प्रभावित करने लगा है। इस विक्षोभ की ट्रफ लाइन अरब सागर तक पहुंचेगी, जो काफी नमी उठाएगी और मैदानी इलाकों की ओर बढ़ेगी। इससे 22 से 24 जनवरी के बीच बारिश की गतिविधियों में भी बढ़ोतरी देखी जा सकती है। इसके कारण, 22 से 24 जनवरी तक करनाल में हल्की से मध्यम वर्षा की गतिविधियाँ देखने को मिलेंगी। वहीं, करनाल में शुक्रवार को अधिकतम तापमान 18.8 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम 9.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
फसलों और जानवरों की देखभाल करें
इन दिनों हो रहे मौसमी बदलावों को देखते हुए कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा मौसम आधारित कृषि परामर्श भी जारी किया गया है। इसके तहत किसानों को फिलहाल गेहूं की फसल की सिंचाई व निराई-गुड़ाई बंद करने को कहा है। कीट रोगों की रोकथाम हेतु छिड़काव बंद करते समय सब्जियों एवं फलों के पौधों में सिंचाई, निराई एवं गुड़ाई करनी चाहिए। चने की फसल में सुंडी की विशेष निगरानी रखें। इसी तरह बदलते मौसम को देखते हुए पशुपालकों को भी अतिरिक्त सावधानी से काम लेना चाहिए।
पशुओं का विशेष ध्यान रखें
नवजात बछड़ों को Cold से बचाने के लिए उन्हें पुआल या घास के बिस्तर की व्यवस्था करनी चाहिए। उनके बैठने की जगह को सूखा रखें और उसे नियमित रूप से बदलते रहें। पशुशाला में सुबह और देर रात को उचित तापमान बनाए रखें। रात के तापमान में गिरावट को देखते हुए पशुपालकों को पशु को बाड़े के अंदर ही रखना चाहिए।