Haryana : विधवा को पेंशन के लिए इंतजार करवाने का मामला आया सामने, हरियाणा के महालेखाकार पर 1 लाख जुर्माना
चंडीगढ़ :- Haryana, मृत कर्मचारी की विधवा को पेंशन का लाभ देने में देरी पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने महालेखाकार हरियाणा को ₹100000 का जुर्माना लगाया है. हाईकोर्ट ने यह आदेश दिया है की राशि 1 सप्ताह में मृतक कर्मचारी की विधवा को मिल जानी चाहिए. याचिका को दाखिल करते हुए महेंद्रगढ़ के सूरज को नहीं बताया है कि उसे पेंशन नहीं मिल रही थी. हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को याची के लीगल नोटिस पर निर्णय लेकर 6 सप्ताह में पेंशन जारी करने का आदेश दिया था. क्योंकि उनके पति संयुक्त पंजाब का कर्मचारी रहा था.
हरियाणा सरकार ही देगी पेंशन-याची
इसके पश्चात अचानक याची के दावे को खारिज कर दिया गया था. याचिकाकर्ता ने अवमानना याचिका दाखिल की तो यह बताया गया कि याची के पति की नियुक्ति से जुड़ा रिकॉर्ड पंजाब सरकार के पास नहीं पाया गया है. याची के पति की पेंशन परांदा लारेंज के अधिकारी ने यह निर्णय लिया था और ऐसे में पेंशन हरियाणा सरकार ही देगी हरियाणा सरकार ने यह कहा कि उनके पास भी इस कर्मचारी से संबंधित कोई भी रिकॉर्ड नहीं है. अभी तक पंजाब सरकार पेंशन की राशि का भुगतान कर रही थी और आगे भी पंजाब सरकार को भी करना चाहिए.
दोनों सरकारें एक-दूसरे पर डाल रही जिम्मेदारी
हाईकोर्ट ने यह कहा कि एक बुजुर्ग अपने लाभ के लिए भटक रही है, और दोनों सरकारें एक-दूसरे पर जिम्मेदारियां तो पर ही हैं. हाईकोर्ट ने दोनों राज्यों के महालेखाकार ओ को बैठक कर इस मामले का हल निकालने का आदेश दिया था. साथ ही साथ यह भी स्पष्ट किया था कि जिस राज्य की गलती मिलेगी. उसे जुर्माने के रूप में ₹100000 का भुगतान भी करना होगा सोमवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि दोनों राज्यों के महालेखाकार ने बैठक की थी.
विधवा को पेंशन के लिए भटकना पड़ रहा दर-दर
हरियाणा के महालेखाकार कार्यालय की ओर से फैमिली पेंशन की गणना कर ली गई है और जल्दी ही वह राशि ब्याज समेत जारी कर दी जाएगी. कड़ा रुख अपनाते हुए कोर्ट ने कहा है कि 1965 में पाकिस्तान के साथ जंग के दौरान मारे गए सिपाही की विधवा को फैमिली पेंशन के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है. पंजाब में हरियाणा सरकार पेंशन की जिम्मेदारी एक दूसरे पर डाल रही है. और ऐसे में हरियाणा के महालेखाकार अभ्यासी साल की विधवा को पेंशन मामले में प्रताड़ित करने पर ₹100000 विधवा को मुआवजे के रूप में 1 सप्ताह के भीतर जारी करें.
फर्जी पाए गए सर्टिफिकेट को नजरअंदाज करने पर लगाई गुहार
सेवा में बहाली के लिए उसकी दलील थी कि उसका एक प्रमाण पत्र ही जारी पाया गया है. अन्यथा उसके पास नौकरी के लिए और भी आवश्यक योग्यताएं हैं. उसने फर्जी पाए गए सर्टिफिकेट को नजरअंदाज करने की भी गुहार लगाई है. हाई कोर्ट के दायर अपील में महिला कर्मचारी ने 16 दिसंबर 2020 के अपने सेवा समाप्ति आदेश को रद्द करने के आदेश देने का कोर्ट से आग्रह भी किया था. हाईकोर्ट की एकल पीठ ने उसकी याचिका को खारिज कर दिया था 2016 में लोअर डिविजन क्लर्क के पद के लिए विज्ञापन निकला आवेदन के साथ-साथ नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स और इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी द्वारा जारी का पाठ्यक्रम प्रमाण पत्र और जून 2019 में उसे नौकरी के लिए चुन लिया गया था. हालांकि सत्यापन के समय अपील करता द्वारा प्रस्तुत को लेबल प्रमाण पत्र झूठा और जाली पाया गया है. इसके बाद दिसंबर 2020 में उसे सेवा से भी निकाल लिया गया था महिला ने कहा है कि उसके पास बीसीए की डिग्री भी थी. जो कि निर्धारित और स्वीकृति योग्यता थी.
‘जांच का अधिकार’ में कोर्ट को हस्तक्षेप अधिकार नहीं
हरियाणा एवं पंजाब हाई कोर्ट साफ कर दिया है, कि जांच का अधिकार क्षेत्र जांच एजेंसी के दायरे में ही आता है और अदालत के पास तब तक जांच में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है. जब तक कि न्याय या कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग ने किया जाए याचिकाकर्ता के वकील ने कहा है कि याचिकाकर्ता ट्रांसजेंडर है, और उसकी उम्र लगभग 60 साल है. उसने कुछ लोगों के खिलाफ चोट पहुंचाने अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने, अपहरण करने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज करवाई थी इसके बावजूद पुलिस अधिकारी आरोपित के खिलाफ कार्यवाही नहीं कर रहे हैं. यह भी आरोप लगाया है कि पुलिस स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच भी नहीं कर रही है.